Guru Gobind Singh Jayanti : देह सिवा बरु मोहि इहै का अर्थ जानिये, गुरु गोबिन्द सिंह ने रचा है ये भजन, पढ़ें PehlaPanna, हमें क्या सीखने को मिलता है
सिखों के दशम गुरु गोबिन्द सिंह (Guru Gobind Singh) का प्रकाश पर्व 6 जनवरी को है। PehlaPanna पर आपको गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़े भजनों से रूबरू कराते हैं। इनके सच्चे अर्थों के बारे में भी बताते हैं। देह शिवा वर मोहि इहै भजन गुरु गोबिंद सिंह ने रचा है। इसमें गुरु जी कहते हैं- हमें जीवन में कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। अंत भी जब निकट आ जाए तो बहादुरी से प्राण त्यागने की भावना होनी चाहिए।
कौन थे चार साहिबजादे, जिनके बलिदान को युगों-युगों तक याद रखा जाएगा, आप कह उठेंगे- निक्कियां जिंदां, वड्डा साका
निक्कियां जिंदां, वड्डा साका। इसका अर्थ है छोटी सी उम्र और सर्वोच्च बलिदान। जब छोटे साहिबजादों को जिंदा दीवार में चुनवाने का आदेश हुआ तो दोनों साहिबजादे घबराए नहीं। दिसंबर का एक सप्ताह चारों साहिबजादों के बलिदान को याद करके मनाया जाता है। PehlaPanna पर चारों साहिबजादों के शौर्य से भरे जीवन को जानिये।
Gurbani 51वीं किस्त : शहादत के प्रकाशस्तंभ भाई मणि सिंह, मुगल जल्लाद अंग काटने लगा तो भाई साहिब ने बोला- पूरा हुकम मानो, अंगुलियों से काटो, सभी 12 भाई, नौ पुत्रों का बलिदान दे दिया, पर धर्म नहीं छोड़ा
Gurbani 51वीं किस्त : शहादत के प्रकाशस्तंभ भाई मणि सिंह, मुगल जल्लाद अंग काटने लगा तो भाई साहिब ने बोला- पूरा हुकम मानो, अंगुलियों से काटो, सभी 12 भाई, नौ पुत्रों का बलिदान दे दिया, पर धर्म नहीं छोड़ा
PehlaPanna पर आप सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। सिख इतिहास के पन्ने अगर पलटेंगे तो भाई मणी सिंह (मनी सिंघ) के बिना यह अधूरा है। गुरु गोबिन्द सिंह जी के वह इतने प्रिय थे कि गुरु जी ने उन्हीं से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बाणी लिखवाई। भाई मणी सिंह खुद और पूरे खानदान के साथ शहीद हो गए। पढ़ें शहादत का यह प्रकाशस्तंभ।
Gurbani 50वीं किस्त : गुरु हरगोबिन्द साहिब की कलीरे पकड़कर कैद से छूटे थे 52 राजा, अकाल तख्त की कहानी भी पढ़ें, कैसे जहांगीर की बादशाहत को चुनौती दी गई
Gurbani 50वीं किस्त : गुरु हरगोबिन्द साहिब की कलीरे पकड़कर कैद से छूटे थे 52 राजा, अकाल तख्त की कहानी भी पढ़ें, कैसे जहांगीर की बादशाहत को चुनौती दी गई
PehlaPanna पर आप सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। पिछली किस्तों में आपने जाना कि सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी के खिलाफ षड्यंत्र रचे गए। उनके सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द (Guru Hargobind) में अपनी जोत टिका गए। गुरु हरगोबिन्द को दलभंजन योद्धा भी कहा जाता है। जानिये, कैसे उन्होंने सूझबूझ से राजाओं को भी कैद से छुड़ाया
Gurbani 49वीं किस्त : गुरु अर्जुन देव के खिलाफ चार षड्यंत्र रचे गए, जानिये उनकी शहीदी के क्या कारण बनते चले गए
PehlaPanna पर आप सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। पिछली किस्तों में आपने जाना कि साईं मियां मीर फकीर से गुरु अर्जुन देव ने शाही इमारत की नींव रखवाई थी। श्रद्धालुओं का सुविधा का खुद ख्याल रखते थे गुरु अर्जुन देव। अब आगे...।
Gurbani 48वीं किस्त : भक्तों का ध्यान रखते थे गुरु अर्जुन देव, शाही इमारत की नींव साईं मियां मीर फकीर से रखवाई थी, जहांगीर के दरबार में होने लगा था विरोध
Gurbani 48वीं किस्त : भक्तों का ध्यान रखते थे गुरु अर्जुन देव, शाही इमारत की नींव साईं मियां मीर फकीर से रखवाई थी, जहांगीर के दरबार में होने लगा था विरोध
PehlaPanna पर आप सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। पिछली किस्तों में आपने जाना कि किस तरह गुरु अर्जुन देव (Guru Arjan Dev) के बारे में उनके बचपने में ही जान गए थे गुरु अमर दास। बाबा बुढ़ा साहिब कौन थे। अब आगे...।
Gurbani 47वीं किस्त : गुरु अमर दास ने कैसे दोहते अर्जुन देव को पहचाना, गुरु ग्रंथ साहिब में क्यों लिखा है- थाल विच तिन वस्तु और बाबा बुढ़ा साहिब कौन थे
Gurbani 47वीं किस्त : गुरु अमर दास ने कैसे दोहते अर्जुन देव को पहचाना, गुरु ग्रंथ साहिब में क्यों लिखा है- थाल विच तिन वस्तु और बाबा बुढ़ा साहिब कौन थे
PehlaPanna पर आप प्रत्येक दिन सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib Ji) की संपादना करने वाले गुरु अर्जुन देव की परख तो गुरु अमर दास को उनके बचपने में ही हो गई थी। गुरु अर्जुन देव ने हरिमंदर साहिब में किया था गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश। तब बाबा बुढ़ा साहिब थे मुख्य ग्रंथी। पढ़ें पूरा वृतांत।
Gurbani 46वीं किस्त : गुरु अंगद देव ने जब हुमायूं को पाठ पढ़ाया, लंगर में गरीबों को दौलत भी बांटते थे, आप भी पढ़ें और विनम्र बनें
PehlaPanna पर आप सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। पांचवीं किस्त में जानिये भाई लहणा जी कैसे गुरु अंगद देव बने। खडूर साहिब में उन्होंने गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार किया। लंगर प्रथा को आगे बढ़ाया।
Gurbani 45वीं किस्त : PehlaPanna पर रोज गुरबाणी; भाई लहणा का गुरु अंगद देव के रूप में प्रगट होना, जब मुर्दे को खाने के हुकम से इन्कार नहीं किया, वो मिठाई में बदल गया
Gurbani 45वीं किस्त : PehlaPanna पर रोज गुरबाणी; भाई लहणा का गुरु अंगद देव के रूप में प्रगट होना, जब मुर्दे को खाने के हुकम से इन्कार नहीं किया, वो मिठाई में बदल गया
PehlaPanna पर आप प्रत्येक दिन सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। चौथी किस्त में जानिये भाई लहणा जी कैसे गुरु अंगद देव बने। कैसे उनकी पहली बार गुरु नानक देव जी से भेंट हुई।
Gurbani 44वीं किस्त : PehlaPanna पर रोज गुरबाणी; धर्म बचाने के लिए भाई लहणा को किस तरह गुरु नानक देव ने पाठ पढ़ाया, परीक्षाओं में सफल होते गए भाई लहणा
Gurbani 44वीं किस्त : PehlaPanna पर रोज गुरबाणी; धर्म बचाने के लिए भाई लहणा को किस तरह गुरु नानक देव ने पाठ पढ़ाया, परीक्षाओं में सफल होते गए भाई लहणा
PehlaPanna पर आप प्रत्येक दिन सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। आपको कुछ किस्तों में बताएंगे कि भाई लहणा जी कैसे गुरु अंगद देव बने। कैसे उनकी पहली बार गुरु नानक देव जी से भेंट हुई। आज तीसरी किस्त।