PehlaPanna पर आप प्रत्येक दिन सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी और संतों की शिक्षाएं पढ़ रहे हैं। आज पढ़ें कि संत रविदास रैदास कितने विनम्र थे। भगत रविदास सदैव प्रभु की भक्ति में मग्न रहते। शरीर और गांठ पर उन्होंने क्या कहा, यह भी जानें।

संत रैदास क्यों कहते हैं- ऐसी लाल तुझ बिन कऊन करै, गरीब निवाज गुसईया मेरा माथै छतर धरे