सूचना का अधिकार अधिनियम यानि Right to Information Act का निर्माण 2005 में प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर देने के लिए किया गया था। इस एक्ट में जवाबदेही की समय सीमा भी सुनिश्चित की गई थी। तय सीमा में जवाब न देने पर अधिकारियों या संबद्ध संस्थान के ऊपर जुर्माने का भी प्रविधान था लेकिन समय के साथ अधिकारियों ने इस एक्ट से बचने और सूचनाओं के जवाब के बदले चकमा देने के कला विकसित कर ही ली। जानिए Pehlapanna.com के साथ यह विश्लेषण।

गजब खबर ! पश्चिम बंगाल राज्य सूचना आयोग ने 12 वर्ष बाद RTI एक्टिविस्ट से पूछा - आपकी अपील पर सुनवाई करें या नहीं