Third Battle of Panipat : 11वीं किस्त, बाजीराव-मस्तानी के पुत्र शमशेर बहादुर अंतिम समय में भाऊ-भाऊ ही पुकारते रहे, जंग में हुए शहीद, पोते ने 1857 की क्रांति में झांसी का भी साथ दिया
अब तक आपने पढ़ा कि 14 जनवरी 1761 के दिन सदाशिवराव भाऊ (Sadashivrao Bhau) और विश्वास राव ने पानीपत (Panipat) के मैदान पर वीरता से अपने प्राणों की आहुति दे दी। मराठा सरदारों की निर्मम हत्या की गई। बाजीराव और मस्तानी के पुत्र शमशेर बहादुर ने भी इस जंग में भाग लिया था। शमशेर बहादुर जब अंतिम सांस ले रहे थे, तब भाऊ को ही पुकार रहे थे। अवसर होते हुए भी उन्होंने मराठा सेना और भाऊ का साथ नहीं छोड़ा। PehlaPanna पर पढि़ए पूरी कहानी।
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Third Battle of Panipat : 11वीं किस्त, बाजीराव-मस्तानी के पुत्र शमशेर बहादुर अंतिम समय में भाऊ-भाऊ ही पुकारते रहे, जंग में हुए शहीद, पोते ने 1857 की क्रांति में झांसी का भी साथ दिया