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Sundara Kanda दोहा-37 और जीवन दर्शन : मंदोदरी की सलाह पर रावण क्‍यों हंसा, मंत्रियों ने क्‍यों नहीं उचित सलाह दी, सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास, इस दोहे में है जीवन का सार

जय सियाराम। PehlaPanna पर प्रत्‍येक मंगलवार को आप पढ़ रहे हैं सुंदरकाण्‍ड की महिमा। धर्माचार्य लाल मणि पाण्‍डेय आपको सुंदरकाण्‍ड के दोहों और चौपाइयों का रहस्‍य समझा रहे हैं। आज 37वीं किस्‍त और 37वें दोहे में जानिये, मंदोदरी की बात को हंसी में उड़ाकर रावण सभा में चला जाता है। वहां भी मंत्री उसे उचित सलाह नहीं देते। अब जानिये आगे।

Sundara Kanda & Life
Sundara Kanda दोहा-37 और जीवन दर्शन : मंदोदरी की सलाह पर रावण क्‍यों हंसा, मंत्रियों ने क्‍यों नहीं उचित सलाह दी, सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास, इस दोहे में है जीवन का सार, Pehla Panna

Sundara Kanda दोहा-37 और जीवन दर्शन : मंदोदरी की सलाह पर रावण क्‍यों हंसा, मंत्रियों ने क्‍यों नहीं उचित सलाह दी, सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास, इस दोहे में है जीवन का सार

ByDigital Desk

Updated AtTuesday, March 25, 2025 at 2:37 AM

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