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पानीपत के महामानव : लाहौर से आए मक्कड़ परिवार ने सम्मान से अंतिम संस्कार के लिए शिवपुरी को बदला, पेड़ों को बचाने के लिए लेंटर को बीच से काटा, हर रोज लंगर चलाते हैं, महीनों की बुकिंग, अयोध्या में आश्रम बनवाया, दो भाई की दुकान का किस्सा भी जानिये
पानीपत (Panipat) का महामानव परिवार है मक्कड़ परिवार। विभाजन के वक्त पाकिस्तान (Pakistan) से किसी तरह बचकर आए हीरानंद मक्कड़ ने पानीपत में दो भाई नाम से कपड़े की दुकान खोली। सुबह और शाम को जब शिवपुरी के रास्ते से गुजरते तो उन्हें महसूस होता कि हमें तो अंतिम संस्कार का भी सम्मानजनक हक नहीं है। तब उन्होंने अपनी कमाई से इस शिवपुरी को बदला। उन्हीं की राह पर है बेटे वेद मक्कड़। अयोध्या में भी सेवा करते हैं। PehlaPanna पर यह महामानव रिपोर्ट पढिए और सभी को बताइये। ताकि हम एक अच्छा समाज बनाने में छोटी सी नेक भूमिका निभा सकें।
January 7th 2024
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Pehla Panna
January 7th 2024
पानीपत (Panipat) का महामानव परिवार है मक्कड़ परिवार। विभाजन के वक्त पाकिस्तान (Pakistan) से किसी तरह बचकर आए हीरानंद मक्कड़ ने पानीपत में दो भाई नाम से कपड़े की दुकान खोली। सुबह और शाम को जब शिवपुरी के रास्ते से गुजरते तो उन्हें महसूस होता कि हमें तो अंतिम संस्कार का भी सम्मानजनक हक नहीं है। तब उन्होंने अपनी कमाई से इस शिवपुरी को बदला। उन्हीं की राह पर है बेटे वेद मक्कड़। अयोध्या में भी सेवा करते हैं। PehlaPanna पर यह महामानव रिपोर्ट पढिए और सभी को बताइये। ताकि हम एक अच्छा समाज बनाने में छोटी सी नेक भूमिका निभा सकें।
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