चुनाव के वक्त किसी रुठे कार्यकर्ता को मनाया जाए तो कहा जाता है कि चुनाव तो शादी की तरह है। रुठे रिश्तेदार को मनाना ही पड़ता है। भाजपा (BJP) पानीपत में यह काम करे से चूक गई। रुठे हुए सुरेंद्र रेवड़ी को नहीं मनाया। रेवड़ी कांग्रेस (Congress) में चले गए। अगर मनोहर लाल (Manohar Lal) अपनी जिद छोड़कर रेवड़ी के घर चले जाते रेवड़ी भाजपा में ही रह जाते। PehlaPanna पर पढ़ें यह विश्लेषण रिपोर्ट।

Panipat Politics Analysis : मनोहर लाल की जिद से दूर हो गए रेवड़ी, घर मनाने चले जाते तो कांग्रेस में शामिल न होते सुरेंद्र और रोहिता रेवड़ी, PehlaPanna पर पढ़ें पूरी कहानी