राजनीतिक चर्चा तो यही है कि हरियाणा (Haryana) का यह मसला सियासत का नहीं है। मामला है माइनिंग का। क्योंकि इस पर वर्चस्व को लेकर पहलवान परिवार में अब रार हो गई। माइनिंग पर वो ही कब्जा जमा सकता है, जिसका राजनीतिक रसूख हो। तो क्या इस रसूख की तलाश में गुरबाज सिंह संधु पहलवान कांग्रेस (Congress) में गए हैं? क्या इसलिए उन्होंने इनेलो नेता एवं पूर्व विधायक अपने चचेरे भाई दिलबाग से अलग राह पकड़ी है। गुरबाज की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं भी हैं। वह टिकट के दावेदार भी हो सकते हैं। हुड्डा गुट को भी यमुनानगर में एक चेहरे की दरकार थी, क्योंकि यहां सैलजा ग्रुप उनके ऊपर हावी है। Pehla Panna पर पढ़िए मनोज ठाकुर की रिपोर्ट।

Haryana Politics : गुरबाज सिंह क्यों चले गए कांग्रेस में, असल मसला राजनीति या माइनिंग