PehlaPanna पर आप प्रत्येक दिन सरदार कुलवंत सिंह जी के माध्यम से गुरबाणी पढ़ रहे हैं। गुरु अर्जुन देव जी (Guru Arjan Dev Ji) बन गए नम्रता की मूर्त। भट्ट साहिबान ने तब लिखा, गुरु जोत है कोई शरीर नहीं। गुरु राम दास जी ने यह जोत गुरु अर्जुन देव में टिका दी थी।

Gurbani 35वीं किस्त : PehlaPanna पर रोज गुरबाणी; जब गुरु अर्जुन देव जी ने बड़े भाई को सौंप दी पगड़ी, जोत तो उनके अंदर थी, जानिये- गुरु ग्रंथ साहिब में क्या बाणी अंकित हुई